Kisan ki atmakatha hindi essay
निबंध 1. किसान की आत्मकथा पर निबंध
प्रस्तावना:- हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश कहलाता है। हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था का ज्यादातर आधार कृषि से ही जुड़ा हुआ है। इसीलिए सुनने में अत है कि भारत के 70% लोग किसान है वे राष्ट्र की रीढ़ के समान है , और भारत की भूमि किसानों की भूमि है आज हम किसान के जीवन से जुड़े हर पहलू को किसान की आत्मकथा के माध्यम से समझाने का प्रयास करेंगे।
मैं एक किसान हूं मेरा कार्य खेत में हल जोतना है जिससे अनाज उत्पादन कर लोगों के पेट भरने का कार्य करता हूं मेरा पूरा जीवन पाको को उगाना और उनकी देखभाल करने जैसे आदि कामों में ही व्यतीत हो जाता है मेरा जन्म किसान परिवार में होता है ओर मेरी मृत्यु होने तक मैं किसान ही रहता हूं। किसान बनाना कोई आसान कार्य नहीं है मेरा पूरा जीवन बड़ी कठिनाइयों से गुजरता है मेरा कार्य जितना आसान दिखता है उतना होता नहीं है मुझे 12 महीने काम करना पड़ता है उसमें ना ही कोई अवकाश है। मुझे अपना कार्य पूरी ईमानदारी और लगन के साथ करना पड़ता है।
में पहले जमीन खेडता हूं जिसने मेरे मित्र “बेल” मेरा बहुत ही अच्छा साथ निभाता हैं। फिर खेत उसमें बीच बोता हूं समय-समय पर पानी खाद्य और किट-नाशक दवाओं का छिड़काव कर की देखभाल करता हूं। में ऋतुओं के अनुसार पाक की वावणी करता हूं ताकि सभी प्रकार के अनाज लोगों तक पहुंचा सकूं मेंरा कार्य तीनों ऋतुओ में चलता है। में ठंडी, गर्मी, बरसात जैसी ऋतु में भी खेत के कार्य में लगा रहता हूं। मैं खेतों में काम करता हूं तभी मेरे परिवारों को खाना मिलता है फसल अच्छी हो तो कोई चिंता नहीं होती मगर जब किसी आपदा के कारण मेरी फसल निष्फल हो जाती है तब मेरे साथ साथ मेरा परिवार भी मुश्किलों में पड़ जाता है मुझे बहुत ही भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है जिसमें मेरा परिवार भी शामिल होता है वह मेरे हर सुख-दुख में हर वक्त मेरे साथ रहता है।
किसान बनकर में खुश बहुत होता हूं की सभी के जीवन को चलाने के मुख्य कार्य खाद्य उत्पादन का कार्य कुदरत ने मुझे सौंपा है। मगर यह कार्य करने में जब निष्फल होता हूं, घोर निराशा में डूब जाता हूं मैंने भी आज के बदलते युग के साथ नई पद्धतियो को सीख कर फसल को ज्यादा कैसे उगाई जाए यह सीखा है, सरकार ने भी आज नई नई योजनाएं बनाकर किसान को कभी जो फसल निष्फल हो जाए तो उनसे होने वाले नुकसान से मदद रूप होने के लिए विमा पाक जैसी कोई योजना बनाई है, इसके साथ साथ किसानों को नए उपकरण भी मुहैया कराने के लिए सब्सिडी जैसी योजनाओं की भी व्यवस्था की है जिससे आज के किसानों को बहुत ही लाभ होता है आज का किसान सफल और सक्षम हो गया है। सरकार भी किसानो के साथ कई साडी नई-नई-योजना लाते है जिससे किसान अपने काम-काज को और बेहतर बना सकते।
उपसंहार:- इसलिए हम कह सकते हैं कि किसान भारत की जान है वह अपना पूरा जीवन देश की प्रजा के खाद्य उत्पादन में और देश के आर्थिक विकास में लगा देता है भारत वासियों को हर किसान पर गर्व होना चाहिए। “जय जवान जय किसान भारत की शान भारत की जान “
लेखक:-हेतल जोशी (गुजरात)
निबंध 2.Minoru yasui biography definition
भारतीय किसान की आत्मकथा पर निबंध
जागृति अस्थाना -लेखक
हिंदुस्तान में किसान को अन्नदाता कहा जाता है, भारत की अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है, एक किसान की आत्मकथा का वर्णन मैं स्वरचित कुछ पंक्तियों द्वारा करना चाहूंगी, जो इस प्रकार हैं:
हाँ मैं किसान हूँ ये मेरी आत्मकथा है (२)
रोज़ सुबह उठकर जब खेतो में जाता हूँ, दिन भर की मेहनत कर जब लौट घर को आता हूँ मैं
हर रात रहता इंतज़ार अगली सुबह का, क्यूंकि उन बीजो में जीवन जो डाल आता हूँ मैं
लहलहाती है जब फसल खेतो मे यह देख आनंदित हो जाता हूँ मैं
हाँ मैं किसान हूँ ये मेरी आत्मकथा है (२)
गरीबी से है जंग मेरी, प्रकृति से है द्वन्द् मेरी, दो वक़्त् कि रोटी के लिए संघर्ष किये जाता हूँ मैं
हाँ मैं किसान हूँ ये मेरी आत्मकथा है (२)
कहते हैं निर्भर है अर्थव्यवस्था मुझपे, फिर भी क्यों खुद को ख़त्म किये जाता हूँ मैं
हाँ मैं किसान हूँ ये मेरी आत्मकथा है (२)
वर्त्तमान परिस्थिति में ये पंक्तियाँ अक्षरशः सत्य प्रतीत होती हैं , हमारा देश आज विकसित देशो की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो तो गया है और ये गर्व की भी बात है , परन्तु देश के किसानो की दशा आज भी शोचनीय है| ऐसा नहीं है की सरकारे कुछ नहीं कर रही, ऐसी बहुत सी योजनाए है जिससे किसान लाभान्वित भी हो रहे हैं बहुत से राज्यों ने तो किसानो के क़र्ज़ तक माफ़ कर दिए हैं फिर भी क्यों नहीं रुक रहा यह आत्महत्याओं का दौर?
इसके कई सारे कारण हैं, प्राकृतिक आपदा जैसे, बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि जिसके कारण पूरी पूरी फसल का बर्बाद हो जाना, किसानो को उनकी फसल का उपर्युक्त समर्थन मूल्य नहीं मिलना, आवारा जानवरों के द्वारा फसलों को
बर्बाद कर देना आदि, इसी कारण लोग कृषि के प्रति उदासीन भी हो रहे हैं और गांव छोड़ शहर की ओर पलायन कर रहे हैं|
प्राकतिक आपदाएं पहले भी आती थी पर आजकल इन आपदाओं ने भयाभव रूप ले लिया है, महाराष्ट्र राज्य के विदर्भ जिले में विगत वर्षो में भयंकर सूखा पड़ने से किसानो ने आत्महत्या की, अब सोचने वाली बात ये है की जो भारत देश आज विकासशील देश की श्रेणी से विकसित देश की श्रेणी में शामिल होने की ओर अग्रसर है उस देश अन्नदाता की इस दशा का जिम्मेदार कौन है, इस विषय पे गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है |
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था क्यूंकि वो ये जानते थे की जवान और किसान ये दोनों एक देश की शक्ति के आधारस्तम्भ हैं | सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार मुंसी प्रेमचंद जी की एक कहानी पुस की रात, किसान के जीवन चरित्र का सजीव वर्णन है, उन्होंने इस कहानी में ये बताया है की कैसे एक किसान खेती करने की वजह से क़र्ज़ में डूब जाता है, पूरी रात ठण्ड में बैठ कर अपनी फसल की निगरानी आवारा जानवरो से बचाने के लिए करता है फिर भी अपनी फसल नहीं बचा पाता है|
मैंने ईश्वर को तो नहीं देखा पर पृथ्वी पे ईश्वर का प्रतिनिधि किसान है ये मैं ढृणतापूर्वक कह सकती हूँ, अतः हमे किसानो द्वाराउगाये गए अन्न का आदर करना चाहिए और उन्हें बर्बाद होने से रोकने का प्रयास करना चाहिए, ये कर के शायद हम उन्हें सच्चा सम्मान दे सकेंगे |
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